Thursday, 11 July 2024

अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है ? अनुलोम विलोम करने का तरीका और फायदे || How to do Anulom Vilom Pranayam II

 

नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है? 


नाड़ी = सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली; शोधन =सफाई, शुद्धि; प्राणायाम =साँस लेने की प्रक्रिया।

नाड़ियाँ मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल है जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम के रूप में भी जाना जाती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं।



नाड़ियों में बाधा का कारण


  • नाड़ियाँ तनाव के कारण बंद हो सकती हैं।
  • भौतिक शरीर में विषाक्तता भी नाड़ियों की रुकावट की एक कारण हो सकता है।
  • नाड़ियाँ शारीरिक और मानसिक आघात के कारण बंद हो सकती है।
  • अस्वस्थ जीवन शैली।

क्या होता है जब ये नाड़ियाँ बंद हो जाती हैं?

इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ, मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण नाड़ियाँ हैं।

जब इड़ा, नाड़ी ठीक तरीके से काम नही करती अथवा बंद हो जाती हैं तब व्यक्ति ज़ुकाम, मानसिक ऊर्जा में कमी, अस्थिर पाचन क्रिया, बंद बायाँ नथुना, और निराश व उदासी का अनुभव करता है। जब पिंगला नाड़ी ठीक रूप से काम नही करती अथवा बंद हो जाती है तब गर्मी, जल्दी गुस्सा और जलन, शरीर में खुजली, त्वचा और गले में शुष्कता, अत्यधिक भूख, अत्यधिक शारीरिक या यौन ऊर्जा और दायीं नासिका बंद होने का अनुभव होता है।


नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) करने की प्रक्रिया 

  1. अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा और कंधों को ढीला छोडकर आराम से बैठें। एक कोमल मुस्कान अपने चेहरे पर रखें।
  2. अपने बाएँ हाथ को बाएँ घुटने पर रखें, हथेली आकाश की ओर खुली या चिन मुद्रा में। (अंगूठा और तर्जनी हल्के छूते हूए)।
  3. तर्जनी और मध्यमा को दोनों भौहों के बीच में, अनामिका और छोटी उंगली को नाक के बाएँ नासिका  पर और अंगूठे को दाहिनी नासिका पर रखें। बाएँ नासिका को खोलने और बंद करने के लिए हम अनामिका और छोटी उंगली का और दाएँ नासिका के लिए अंगूठे का उपयोग करेगें।
  4. अपने अंगूठे को दायीं नासिका पर धीरे से दबा कर बायीं नासिका से साँस बाहर निकालें।
  5. अब बायीं नासिका से साँस लीजिये और उसके बाद बायीं नासिका को अनामिका और छोटी उंगली के साथ धीरे से दबाएँ। दाहिने अंगूठे को दायीं नासिका से खोलकर दायीं नासिका से साँस बहार निकालें।
  6. दायीं नासिका से साँस लीजिये और बायीं ओर से साँस छोड़िए। अब आपने अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक राउंड पूरा कर लिया है। एक के बाद एक नासिका से साँस लेना और छोड़ना जारी रखें।
  7. इस तरह बारी-बारी से दोनों नासिका के माध्यम से साँस लेते हुए 9 राउन्ड पूरा करें। हर साँस छोड़ने के बाद याद रखें कि उसी नासिका से साँस भरे जिस नासिका से साँस छोड़ी हो। अपनी आँखें पूर्णतः बंद रखें और किसी भी दबाव या प्रयास के बिना लंबी, गहरी और आरामदायक साँस लेना जारी रखें।

नाड़ी शोधन प्राणायाम (अनुलोम विलोम प्राणायाम) के 7 लाभ 

  1. मन को शांत और केंद्रित करने के लिए यह एक बहुत अच्छी क्रिया है।
  2. भूतकाल के लिए पछतावा करना और भविष्य के बारे में चिंतित होना यह हमारे मन की एक प्रवृत्ति है। नाड़ी शोधन प्राणायाम मन को वर्तमान क्षण में वापस लाने में मदद करता है।
  3. श्वसन प्रणाली व रक्त-प्रवाह तंत्र से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति देता है।
  4. मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करता है।
  5. मस्तिष्क के बाएँ और दाएँ गोलार्ध को एक समान करने में मदद करता है, जो हमारे व्यक्तित्व के तार्किक और भावनात्मक पहलुओं से जोड़ता है।
  6. नाड़ियों की शुद्धि करता है और उनको स्थिर करता है, जिससे हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह हो।
  7. शरीर का तापमान बनाए रखता है।

Wednesday, 10 July 2024

शीर्षासन कैसे करें | जानिये इसके फायदे | HOW TO DO HEAD STAND OR SHIRSHASAN I BENIFITS OF SHIRSHASAN I


 शीर्षासन क्या है ?


शीर्षासन को सलम्बा शीर्षासन भी कहा जाता है, इसका नाम संस्कृत भाषा के शब्दो से लिए गये है, "सलम्बा" का अर्थ है "संतुलित करना ", "सहारा देना" ; "शीर्ष" जिसका अर्थ है "सिर" और आसन का अर्थ है "योगासन मुद्रा"। पूरे शरीर का वजन सिर पर संतुलित होता है, इसलिए इसे शीर्षासन कहा जाता है और अँग्रेजी मे हेडस्टैंड पोज ।







  शीर्षासन कैसे करे:

    1. वज्रासन की स्थिति में घुटनों के बल बैठ जाएं।
    2. अपनी अंगुलियों को इंटरलॉक करें और अपने शरीर को फर्श पर रखते हुए आगे की ओर ले जाएं।
    3. अपने सिर को अपनी हथेलियों के बीच के स्थान पर रखें।
    4. घुटनों और पैरों को सीधा करे।
    5. अपने सिर की ओर कुछ कदम चलें हुए अपने पैरों को फर्श से उठाएं।
    6. एक पैर के घुटनों को मोड़ें और ऊपर की और ले जाये।
    7. अपने शरीर के वजन को पंजों से सिर और बांहों पर लाये।
    8. धीरे-धीरे दूसरे पैर को ऊपर की और ले जाये और मोड़ें हुए घुटनों को सीधा करे ।
    9. इस स्थिति में सामान्य रूप से 15 से 20 सेकंड या उससे अधिक के लिए साँस लें।
    10. नीचे आने के लिए दोनों पैरों को अथवा एक पैर को सीधा पर रखे।
    11. इसे 3-4 चक्रों के लिए दोहराएं।

                        • शीर्षासन कितनी देर करें:

                          आप शुरुआत में 1 मिनट से लेकर अधिकतम 5 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हैं। एक अच्छे अभ्यास के बाद, आप अवधि बढ़ा सकते हैं। यह वास्तव में आपके स्तर पर निर्भर करता है। शुरुआत में इसे 1 मिनट तक करें। अगर आप सहज महसूस करते हैं तो समय बढ़ाएं।

                          शीर्षासन के लाभ:

                        1. सिर मे रक्त की आपूर्ति बढ़ाता है, इसलिए मस्तिष्क के सभी संवेदी अंगों (सिर, आंख, कान आदि) के लिए फायदेमंद है।
                        2. ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार करता है।
                        3. बालों के झड़ने को कम करने में मदद करता है ।
                        4. शरीर को संतुलित करने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
                        5. शीर्षासन उन लोगों को भी लाभान्वित करता है जो अनिद्रा या अन्य नींद की समस्याओं से पीड़ित हैं।
                        6. शीशासन कमर दर्द से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है।
                        7. यह चेहरे ऑक्सीजन को प्रवाहित करता है, जिससे त्वचा पर एक चमक प्रभाव पैदा होता है।
                        8. पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
                        9. यदि नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो याददाश्त में सुधार और नींद की गड़बड़ी में सुधार होता है



                        • Click on link to watch the Sirshashan Video

                        कपाल भाती प्राणायाम कैसे करें || कपाल भाती करने के फायदे || Kapal Bhati karne ke fayde ||

                         

                        कपालभाति प्राणायाम क्या है ?

                        कपाल=मस्तक (सिर); भाति = चमकने वाला; प्राणायाम = साँस लेने की प्रक्रिया
                        यह एक शक्ति से परिपूर्ण (श्वाँस के द्वारा किये जाने वाला) प्राणायाम है, जो आपका वज़न कम करने में मदद करता है और आपके पूरे शरीर को संतुलित कर देता है।



                        • जब आप कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपके शरीर से 80 % विषैले तत्त्व बाहर जाती साँस के साथ निकल जाते हैं। 
                        • कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। 
                        • किसी भी तंदुरस्त व्यक्ति को उसके चमकते हुए माथे (मस्तक या सिर) से पहचाना जा सकता है। 
                        • कपालभाति प्राणायाम की उचित व्याख्या है, "चमकने वाला मस्तक”। मस्तक पर तेज या चमक प्राप्त करना तभी संभव है जब आप प्रतिदिन इस प्राणायाम का अभ्यास करें। 
                        • इसका तात्पर्य यह है कि आपका माथा सिर्फ बाहर से नही चमकता परंतु यह प्राणायाम आपकी बुद्धि को भी स्वच्छ व तीक्ष्ण बनाता है।


                        कपालभाति प्राणायाम करने की विधि 

                        • अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ। 
                        • अपने हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटनों पर रखें।
                        • एक लंबी गहरी साँस अंदर लें।
                        • साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे।
                        •  अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले।
                        •  जितना हो सके उतना ही करें। 
                        • पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पेट पर हाथ रख कर महसूस कर सकते हैं।
                        •  नाभि को अंदर की ओर खींचे।
                        • जैसे ही आप पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हो, साँस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुँच जाती है।
                        • कपालभाति प्राणायाम के एक क्रम (राउंड) को पूरा करने के लिए 20 साँस छोड़े।
                        • एक राउंड खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें और अपनी आँखों को बंद कर लें। 
                        • अपने शरीर में प्राणायाम से प्रकट हुई उत्तेजना को महसूस करें।
                        • कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम (राउंड) को पूरा करें।



                        1. यह पाचन प्रक्रिया को बढ़ाता है और वज़न कम करने में मदद करता है।
                        2. नाड़ियों का शुद्धिकरण करता है।
                        3. पेट की मासपेशियों को सक्रिय करता है जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
                        4. रक्त परिसंचरण को ठीक करता है] और चेहरे पर चमक बढ़ाता है।
                        5. पाचन क्रिया को अच्छा करता है और पोषक तत्वों का शरीर में संचरण करता है।
                        6. आपकी पेट कि चर्भी फलस्वरूप अपने-आप काम हो जाती है।
                        7. मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जान्वित करता है ।
                        8. मन को शांत करता है।

                                                 KAPAL BHATI PRANAYAM VIDEO