शीर्षासन क्या है ?
शीर्षासन को सलम्बा शीर्षासन भी कहा जाता है, इसका नाम संस्कृत भाषा के शब्दो से लिए गये है, "सलम्बा" का अर्थ है "संतुलित करना ", "सहारा देना" ; "शीर्ष" जिसका अर्थ है "सिर" और आसन का अर्थ है "योगासन मुद्रा"। पूरे शरीर का वजन सिर पर संतुलित होता है, इसलिए इसे शीर्षासन कहा जाता है और अँग्रेजी मे हेडस्टैंड पोज ।
शीर्षासन कैसे करे:
- वज्रासन की स्थिति में घुटनों के बल बैठ जाएं।
- अपनी अंगुलियों को इंटरलॉक करें और अपने शरीर को फर्श पर रखते हुए आगे की ओर ले जाएं।
- अपने सिर को अपनी हथेलियों के बीच के स्थान पर रखें।
- घुटनों और पैरों को सीधा करे।
- अपने सिर की ओर कुछ कदम चलें हुए अपने पैरों को फर्श से उठाएं।
- एक पैर के घुटनों को मोड़ें और ऊपर की और ले जाये।
- अपने शरीर के वजन को पंजों से सिर और बांहों पर लाये।
- धीरे-धीरे दूसरे पैर को ऊपर की और ले जाये और मोड़ें हुए घुटनों को सीधा करे ।
- इस स्थिति में सामान्य रूप से 15 से 20 सेकंड या उससे अधिक के लिए साँस लें।
- नीचे आने के लिए दोनों पैरों को अथवा एक पैर को सीधा पर रखे।
- इसे 3-4 चक्रों के लिए दोहराएं।
शीर्षासन कितनी देर करें:
आप शुरुआत में 1 मिनट से लेकर अधिकतम 5 मिनट तक इसका अभ्यास कर सकते हैं। एक अच्छे अभ्यास के बाद, आप अवधि बढ़ा सकते हैं। यह वास्तव में आपके स्तर पर निर्भर करता है। शुरुआत में इसे 1 मिनट तक करें। अगर आप सहज महसूस करते हैं तो समय बढ़ाएं।
शीर्षासन के लाभ:
- सिर मे रक्त की आपूर्ति बढ़ाता है, इसलिए मस्तिष्क के सभी संवेदी अंगों (सिर, आंख, कान आदि) के लिए फायदेमंद है।
- ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार करता है।
- बालों के झड़ने को कम करने में मदद करता है ।
- शरीर को संतुलित करने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
- शीर्षासन उन लोगों को भी लाभान्वित करता है जो अनिद्रा या अन्य नींद की समस्याओं से पीड़ित हैं।
- शीशासन कमर दर्द से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है।
- यह चेहरे ऑक्सीजन को प्रवाहित करता है, जिससे त्वचा पर एक चमक प्रभाव पैदा होता है।
- पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
- यदि नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो याददाश्त में सुधार और नींद की गड़बड़ी में सुधार होता है
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